पांसा ~ BOL PAHADI

09 August, 2010

पांसा


रावण धरदा बनि-बनि रुप
राम गयां छन भैर
चुरेड चुडी पैरौणान सीता
देळी मु बैठीं डौर


अफ्वीं बुलौंदी दुशासनुं द्रौपदा
कृष्ण क्य करू अफसोस
चौसर चौखाना दुर्योधनूं का
सेळ्यूं च पांड्वी जोश


टाटपट्टी मा एकलव्य बैठ्यांन
द्रोण मास्साब कि जग्वाळ
अर्जुन जाणान ईंग्लिश मीडियम
वाह रे ज्ञान कि खोज


येक टांग मा खडा भस्मासुर
शिवजी लुक्यां कविलासुं
मोहनी मंथ्यणि रैंप मा हिट्णीं
शकुनि खेन्ना छन पासों

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

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