August 2015 ~ BOL PAHADI

13 August, 2015

ये जो निजाम है


ये जो निजाम है तुझको माफ़ कर देगा
खुद सोच क्या तू खुद को माफ़ कर देगा

बारिशों में भीग रहा क्यों इस कदर
यकीं है तुझे खुद को साफ कर देगा


तारीखें बढ़ाना तेरा हुनर हो सकता है
अब भी लगता तुझे कि इंसाफ कर देगा

अभी भी वक्त संभल गुनाहों की राह से
तेरे इज़हार को वह माफ़ समझ लेगा

कॉपीराइट - धनेश कोठारी
10 अगस्त 2015

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