July 2014 ~ BOL PAHADI

14 July, 2014

मैं हंसी नहीं बेचता

जी हां
मैं हंसी नहीं बेचता
न हंसा पाता हूं किसी को
क्‍योंकि मुझे कई बार
हंसने की बजाए रोना आता है

हंसने हंसाने के लिए
जब भी प्रयत्‍न करता हूं,
हमेशा गंभीर हो जाता हूं
इसी चेतना के कारण
हंसी, हमेशा रुला देती है

हास्‍य का हर एक किरदार
मेरे शब्‍दों में उलझकर
हंसाने की बजाए,
चिंतन पर ठहर जाता है

सामने सिसकते घाव
मुझे आह्लादित नहीं करते
फिर, कैसे शब्‍दों के जरिए
हंसाऊं किसी को
कैसे बेचूं मंचों पर हंसी
नहीं आता, यह शगल
इसलिए
मैं नहीं बेचता हंसी ।।

@धनेश कोठारी

Popular Posts

Blog Archive

Our YouTube Channel

Subscribe Our YouTube Channel BOL PAHADi For Songs, Poem & Local issues

Subscribe