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विलक्षण, बहुमुखी, प्रखर मेधा के धनी हैं ‘गणी’

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• नरेंद्र कठैत -  अग्नि, हवा और पानी- इन तीन ईश्वर प्रदत्त तत्वों के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। चाहे हम मंगल तक की दौड़ लगा लें या दूर प्लेटो तक की। किंतु जहां जीव जगत के लिए ये तत्व हितकर हैं वहीं इनकी अति भी अहितकर सिद्ध हुई। इसलिए ये तीन तत्व हमारे लिए अमरतत्व भी हैं और गरल भी। किंतु जिसने इन तीन तत्वों में स्वयं को ढालने की आत्मशक्ति विकसित कर ली वही सच्चा साधक है और लोकप्रिय भी। सच्चे साधक और लोकप्रियता की इसी श्रेणी में आते हैं विलक्षण, बहुमुखी, प्रखर मेधा के धनी, मातृभाषा प्रेमी भ्राता गणेश खुगशाल ‘गणी’! गणी दा की गिनती जनप्रिय अथवा लोकप्रिय महानुभावों की श्रेणी में यूं ही नहीं होती। मंच संचालन और गणी- यह अब एक किवदंती सी है बन पड़ी। किंतु मंच संचालन और ध्वनि यंत्रों से पहले आपकी सजग जनपक्षीय लेखन यात्रा 1989 से 2001 तक क्रमशः ‘दैनिक अमर उजाला’ तथा ‘दैनिक जागरण’ के संवाददाता से शुरू हुई। यकीनन कविताएं उससे पहले भी आपके लहू में रही होंगी। स्वनामधन्य गीतकार नरेन्द्रसिंह नेगी का सानिंध्य मिला तो भाषा पर पकड़ और कविता की समझ बढ़ी। अतः यह लिखने में भी कदापि गुरेज नहीं कि आप