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मैं हंसी नहीं बेचता

गैरा बिटि सैंणा मा

लंपट युग में आप और हम

वह आ रहा है अभी..

भ्रष्‍टाचार, आदत और चलन

हां.. तुम जीत जाओगे

बदलाव, अवसरवाद और भेडचाल

गिरगिट, अपराधबोध और कानकट्टा

लो अब मान्‍यता भी खत्‍म

हाइकू

फूल चढ़ाने तक की देशभक्ति

सर्ग दिदा

घृणा, राजनीति और चहेते

कन्फ्यूजिंग प्रश्नों पर चाहूं रायशुमारी

बसंत

सिखै