गढ़वाली कहानीः छठों भै कठैत की हत्या!
प्रतीकात्मक चित्र • भीष्म कुकरेती / हौर क्वी हूंद त डौरन वैक पराण सूकि जांद पण मेहरबान सिंग कठैत त राजघराना को संबंधी छौ राजा प्रदीप शाह को खासम ख़ास महामंत्री पुरिया नैथाणी सनै कौरिक खड़ो ह्व़े अर वैन कैदी मेहरबान सिंग कठैत तैं द्याख. फिर पुरिया नैथाणी न मेहरबान कठैत को तर्फां देखिक, घूरिक ब्वाल,“ओह! कठैत जी! जाणदवां छंवां तुम पर क्या अभियोग च?“ मेहरबान सिंग कठैत न जबाब दे,’पुरिया बामण जी! अभियोग? जु म्यार ब्वाडा क नौन्याळ पंचभया कठैत तुमर पाळीक बजीर मदन सिंग भंडारी, हमर बैणिक जंवैं भीम सिंग बर्त्वाल जन लोकुं ळीोंन दसौली ज़िना नि मारे जांद अर तुम पकडे़ जांद त तुम क्या जबाब दीन्दा? बामण जी जरा जबाब त द्याओ.“ पुरिया नैथाणी न ब्वाल,“खैर.. हाँ त! खंडूरी जी! डोभाल जी! जरा हम सब्युं समणि मेहरबान सिंग कठैत पर क्या क्या अभियोग छन सुणाओ.!“खंडूरी न पुरिया नैथाणी, भीम सिंग बर्त्वाल, मदन भंडारी, सौणा रौत, भगतु बिष्ट, डंगवाल, भागु क नौनु सांगु सौन्ठियाल अर सात आट और मंत्र्युं ज़िना देखिक ब्वाल,“ मेहरबान सिंग कठैत क भायुं - सादर सिंग, खड्ग सिंग आद्युं न जनता पर स्युंदी सुप्प डंड, हौळ डंड, चुल्लू डं