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सद्भाव के रंगों का पर्व है होली

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प्रबोध उनियाल  | फागुन पूर्णिमा को मनाए जाने वाला होली का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का अंतिम तथा जन सामान्य द्वारा मनाये जाने वाला सबसे बड़ा रंगों का त्योहार है. यह पर्व उल्लास का पर्व भी है, जिसमें सभी वर्ण एवं जाति के लोग बिना वर्ग भेद के सम्मिलित होते हैं. आदि -स्रोत वेदों और पुराण में उल्लेख होने के कारण होली का पर्व वैदिक कालीन पर्व भी कहा जा सकता है. प्राचीन मान्यता है कि लोग इस पर्व में खेतों में उगी आषाढ़ी फसल  गेहूं ,जौ व चना आदि की आहुति देकर तदनंतर यज्ञशेष प्रसाद ग्रहण करते थे. जैसे-जैसे समय बीतता गया होली के इस पर्व के साथ अन्य किंवदंतियां और ऐतिहासिक स्मृतियां भी जुड़ती चली गयीं. प्रह्लाद की विजय उत्सव का दिन नारद पुराण में यह पवित्र दिन भगवद भक्त प्रह्लाद की विजय उत्सव का दिन है. भले ही वरदान से गर्वित हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अपने कुत्सित अभिप्राय के साथ प्रह्लाद को अपनी गोदी में लेकर अग्नि चिता में बैठ गई हो लेकिन प्रह्लाद सुरक्षित बच निकले.सच ही है कि अन्याय व क्षुद्र पाप अपने ही ताप से नष्ट हो जाते हैं. इस वजह से भी इस पर्व को सत्य एवं न्याय की विजय का स