19 September, 2019

मैंने या तूने (हिन्दी कविता)

https://www.bolpahadi.in/2019/09/blog-post.html

प्रदीप रावत ‘खुदेड़' //

मैंने या तूने,
किसी ने तो मशाल जलानी ही थी
चिंगारी मन में जो जल रही थी
उसे आग तो बनानी ही थी
मैंने या तूने,
किसी ने तो मशाल जलानी ही थी।

मरना तुझे भी है
मरना मुझे भी है
यूं कब तक तटस्थ रहता तू
यूं कब तक अस्पष्ट रहता तू
फिर किस काम की तेरी ये जवानी थी
मैंने या तूने,
किसी ने तो मशाल जलानी ही थी।

रो रही धारा ये सारी है
वक्त तेरे आगे खड़ा है
तय कर तू
तुझे वक्त के साथ चलना है
या कोई नया किस्सा गढ़ना है
ये तेरी ही नहीं लाखों युवाओं की कहानी थी
मैंने या तूने,
किसी ने तो मशाल जलानी ही थी।

आकांक्षाएं ये तेरी
अति महत्वाकांक्षी हैं
आसमान में उड़ते भी जमीं पर पांव रख तू
बाज़ी हारे न ऐसा एक दांव रख तू
हारी बाज़ी तुझे बनानी थी
मैंने या तूने,
किसी ने तो मशाल जलानी ही थी।

तुफानों के थमने तक सब्र रख तू
ज़िंदा है तो पड़ोस की खबर रख तू
अपने अधिकारों में कब तक मदहोश रहेगा
पर कर्तव्यों के प्रति कब तक खामोश रहेगा
कुछ तो जिम्मेदारी तुझे उठानी थी
मैंने या तूने,
किसी ने तो मशाल जलानी ही थी।
bol pahadi

(युवा प्रदीप रावत ‘खुदेड़’ कवि होने के साथ ही सामाजिक सरोकारों के प्रति भी बेहद सजग रहते हैं। उनकी कविताओं और सामायिक लेखों में यह दिखाई भी देता है।)

1 comment:

  1. बोल पहाड़ी की ब्लॉग पोस्ट का लिंक शेयर करने के आभार सर। आपका यह कदम हमें बेहद प्रोत्साहित करता है।

    ReplyDelete

Popular Posts

Blog Archive

Our YouTube Channel

Subscribe Our YouTube Channel BOL PAHADi For Songs, Poem & Local issues

Subscribe