जिस पर बेटियों के साथ दुराचार व हत्या के आरोप में सीबीआई जांच के बाद
न्यायालय में मुकदमा चल रहा हो, ऐसे
व्यक्ति को देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी स्वच्छता अभियान का ब्रांड
एंबेसडर बनाते हैं। उनकी पार्टी सत्ता में आने के लिए ऐसे व्यक्ति के साथ वोटों का
सौदा करती है। वोटों के सौदे से चुनाव जीतने के बाद उनकी पार्टी के कई बड़े नेता
दुराचार के आरोपी के घर में मत्था टेकने जाते हैं।
ऐसा ही कुछ विधानसभा चुनाव के
समय भी किया जाता है। वहां भी वोटों को
खरीदने के लिए दुराचार के आरोपी के साथ बड़ी ही निर्लज्जता के साथ समझौता किया जाता
है। बात यहीं तक नहीं रहती, देश
के प्रधान सेवक की पार्टी उनका सार्वजनिक महिमामंडन करती है और ऐसा करते हुए खुद
को गौरवान्वित भी महसूस करती है। महिमामंडन के बाकायदा पोस्टर व बैनर तक लगाए जाते
हैं।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री के अलावा उनके
मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्य पिफर से दुराचार के आरोपी के दरबार में मत्था टेकने
जाते हैं। इससे समझा जा सकता है कि देश किस राह पर जा रहा है, पर जिन्होंने दुराचार व हत्या के आरोपी को
ब्रांड एंबेसडर बनाया। वे इसके लिए देश से माफी मांगने को तैयार नहीं हैं, क्यों? क्या इसका जवाब नहीं मिलना चाहिए देश की जनता को? अब यह कुतर्क देश को मत दीजिए कि आपको दुराचार के आरोपी के बारे कोई जानकारी
नहीं थी। सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति की ओर से जब इस तरह की बेदम व लिजलिजी
दलील दी जाती हैं, तो
हंसी आने के साथ ही भयातुर अफसोस भी होता है। वह इसलिए कि विपक्ष पर नकेल कसने के
लिए प्रधानमंत्री सार्वजनिक रुप से धमकी भरे अंदाज में कहते हैं कि विपक्ष के हर
नेता की कुंडली मेरे पास है, ज्यादा
बोलोगे तो सब की कुंडली सार्वजनिक कर दूंगा। ऐसा कहते हुए प्रधानमंत्री जी विपक्ष
को धमकी देते हुए अपनी कुर्सी की सलामती का खेल भी खेलते हैं।
जब देश के हर नेता की कुंडली प्रधानमंत्री के हाथ में हो, तो ऐसे में यह कैसे मान लिया जाए कि जिस
दुराचार व हत्या के आरोपी का प्रधानमंत्री जी सार्वजनिक रुप से महिमामंडन कर रहे
थे, उसके काले कारनामों की जानकारी
तक उन्हें नहीं थी। अगर यह सच है, तो
प्रधानमंत्री को अपने सुरक्षा सलाहकार सहित अपनी उस टीम में ऊपर से नीचे तक भारी
बदलाव तुरंत कर लेना चाहिए, जो
उनको देश-दुनिया की पल-पल की खबर से अवगत कराता है। इसका मतलब यह है प्रधानमंत्री
जी! कि आप अपनी जिस टीम पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं, वह भरोसे लायक नहीं है। जो टीम आपको दुराचार व हत्या के आरोपी का गुणगान
करने और उससे नजदीकी बनाने से नहीं रोक सकती है, वह आपको कभी भी, कहीं
भी भयानक राजनैतिक मुसीबत में जाने-अनजाने फंसा भी सकती है।
कथित तौर पर धर्म की आड़ में कई बेटियों के साथ दुराचार करने वाला एक गुमनाम
पत्र की शिकायत के बाद सीबीआई जांच में दोषी पाया जाता है। सीबीआई की जांच के बाद
ही उस पर मुकदमा चलता है और न्यायालय में दोषी पाया जाता है। क्या देश के
प्रधानमंत्री को सीबीआई जांच पर विश्वास नहीं है? क्या सीबीआई जांच का मतलब हर एक के लिए अलग-अलग होता है? अगर ऐसा नहीं है, तो क्यों नहीं प्रधानमंत्री जी ने उन
बेटियों के हौसले को सलाम किया, जिनकी
हिम्मत से राम रहीम जैसे व्यक्ति को सलाखों के पीछे जाने को मजबूर होना पड़ा।
प्रधानमंत्री जी! क्या आपने एक बार भी इस बारे में सोचने की जहमत तक नहीं
उठाई कि जब आप जैसे सत्ता के शीर्ष पर बैठे और व्यवस्था परिवर्तन की बात करने वाले
लोग दुराचारियों से सत्ता प्राप्त करने के लिए समझौते करते हैं, तब उस दुराचारी के खिलाफ अदालत में कानूनी
लड़ाई लड़ रही बेटियां और उनके परिवार पर क्या गुजर रही होगी? वे अपने आप को कितना असहाय, कमजोर व अकेला महसूस कर रहे होंगे? वे भले ही अपने मनोबल और साहस से हिम्मत
जुटाकर कानूनी लड़ाई लड़ रही थी, लेकिन
उसके बाद भी उनके मन में न्याय मिलने तक यह डर हमेशा बना रहा होगा, कि जिस दुराचारी के साथ देश के प्रधानमंत्री
तक खड़े हैं और उनकी पार्टी केंद्र व राज्य दोनों जगह सत्ता में है, वह दुराचारी सत्ता के बेलगाम सहयोग के कारण
कहीं कानून की कमजोरियों का लाभ उठाकर बच तो नहीं निकलेगा?
उनका यह डर तब सही जान पड़ता है, जब
आपकी सरकार उसे जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा बरकरार रखती है। इस कुतर्क का यहां कोई
स्थान नहीं है कि यह सुरक्षा तो पिछली सरकार ने दी थी। पिछली सरकार ने कई मामलों
सहित इस मामले में भी गलत किया था, तभी
तो जनता ने उसे सत्ता से बाहर फेंक दिया था। क्या यह आपके पार्टी की सरकार की
जिम्मेदारी नहीं थी कि वह पिछली सरकार द्वारा किए गए इस भयानक भूल को ठीक करे और
एक दुराचार के आरोपी को उसकी सही जगह दिखाए?
बेटियां केवल नारों और भाषणों से नहीं बचती प्रधानमंत्री जी! उसके लिए
बेटियों को वास्तव में बचाना पड़ता है और दुःख व पीड़ा के वक्त उनके साथ खड़ा भी होना
पड़ता है। उन्हें मानसिक शक्ति भी देनी पड़ती है। जो न आपसे हो पाया और न आपकी
पार्टी व उसके नेताओं, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायकों और सांसदों से। ऐसे में कोई भी बेटी खुद के बेटी होने पर गर्व कैसे
करेगी प्रधानमंत्री जी? और
कैसे हर बेटी खुद को हमेशा सुरक्षित महसूस करेगी? जब सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग और उनकी पार्टी सत्ता का सौदा करने के लिए
ऐसे दुराचारियों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं, जो बेटियों की अस्मत के साथ खिलवाड़ करना अपना शगल समझते हैं। कभी विदेश दौरे
और बेबात ट्वीट करने से फुर्सत मिले तो इस पर थोड़ी देर के लिए अपने ‘मन की बात’ की
तरह सोचिएगा जरुर! और सोचने के बाद कोई निर्णय कर सकें, तो ट्वीट से ही सही देश की जनता, विशेषकर
बेटियों, के साथ साझा जरूर
करियेगा। यह देश और इसकी बेटियां आपके विचार व निर्णय की प्रतिक्षा कर रही हैं
प्रधानमंत्री जी! आशा है इस बार आप कुछ करें न करें, कम से कम देश की बेटियों को निराश तो नहीं करेंगे!
आलेख- जगमोहन रौतेला, स्वतंत्र
पत्रकार