वीर भड़ूं कू देस बावन गढ़ कू देस..., प्रख्यात लोकगायक नरेंद्र सिंह
नेगी का यह गीत सुना ही होगा। जी हां! गढ़वाल को 52 गढ़ों का
देश भी कहा जाता है। इस परिक्षेत्र में 52 राजाओं के आधिपत्य
वाले यह राज्य तब स्वतंत्र थे। इनके अलावा भी गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में थोकदारों
के अधीन छोटे अन्य गढ़ भी थे। छठी शताब्दी में भारत में आए चीनी यात्री ह्वेनसांग
ने भी इनमें से कुछ का जिक्र किया था। माना जाता है कि नौवीं शताब्दी से करीब 250 वर्षों तक यह
गढ़ अस्तित्व में थे। बाद में राजाओं के बीच आपसी लड़ाईयों का फायदा पंवार वंशीय
राजाओं ने उठाया। 15वीं सदी तक यह सब पंवार वंश के अधीन हो
गए थे। पंवार वंश के राजा अजयपाल सिंह ने इसके बाद गढ़वाल परिक्षेत्र का सीमांकन
किया।
इससे पूर्व 52 गढ़ों किस रूप में थे एक संक्षिप्त विवरण
01-
नागपुर गढ़- जौनपुर परगना के इस राज्य का आखिरी राजा भजन सिंह हुआ
था।
02-
कोली गढ़ - यह बछवाण बिष्ट जाति के लोगों का गढ़ था।
03-
रवाण गढ़ - बदरीनाथ मार्ग में इस गढ़ का नाम रवाणी जाति के वर्चस्व के
कारण पड़ा।
04-
फल्याण गढ़- यह फल्दकोट में था। पहले यह राज्य राजपूत और फिर
ब्राहमणों का रहा। शमशेर सिंह नामक व्यक्ति ने इसे दान किया था।
05-
बांगर गढ़ - यह नागवंशी राणा जाति का गढ़ था। एक बार घिरवाण खसिया
जाति ने भी इस पर अधिकार जमाया था।
06-
कुईली गढ़ - यह सजवाण जाति का गढ़ था। जिसे जौरासी गढ़ भी कहते हैं।
07-
भरपूर गढ़- यह भी सजवाण जाति का राज्य था। यहां का अंतिम थोकदार
गोविंद सिंह सजवाण था।
08-
कुंजणी गढ़ - सजवाण जाति से जुड़ा एक और गढ़ जहां का आखिरी थोकदार
सुल्तान सिंह था।
09-
सिलगढ़ - सजवाण जाति के इस गढ़ अंतिम राजा सवल सिंह हुआ।
10-
मुंगरा गढ़ - रवाईं स्थित यह गढ़ रावत जाति का था।
11-
रैंका गढ़ - यह रमोला जाति का गढ़ था।
12-
मोल्या गढ़ - रमोली स्थित यह गढ़ भी रमोला जाति का ही था।
13-
उप्पू गढ़ - उदयपुर स्थित यह गढ़ चौहान जाति का था।
14-
नालागढ़ - देहरादून जिले के इस गढ़ को बाद में नालागढ़ी के नाम से जाना
गया।
15-
सांकरी गढ़ - रवाईं स्थित यह गढ़ राणा जाति का था।
16-
रामी गढ़ - इसका संबंध शिमला से था और यह भी रावत जाति का गढ़ था।
17-
बिराल्टा गढ़ - जौनपुर में रावत जाति के इस गढ़ का अंतिम थोकदार भूप
सिंह था।
18-
चांदपुर गढ़- सूर्यवंशी राजा भानुप्रताप का यह गढ़ तैली चांदपुर में
था। इसपर पंवार वंशीय राजा कनकपाल ने सबसे पहले जीता था।
19-
चौंडा गढ़ - चौंडाल जाति का यह गढ़ सिली चांदपुर में था।
20-
तोप गढ़ - यह तोपाल वंश के तुल सिंह के तोप बनाने पर जाति और गढ़ का
नाम पड़ा।
21-
राणी गढ़ - खासी जाति का यह गढ़ राणीगढ़ पट्टी में पड़ता था।
22-
श्रीगुरू गढ़ - सलाण स्थित यह गढ़ पडियार जाति का था। इन्हें अब
परिहार कहा जाता है। यहां का अंतिम राजा विनोद सिंह था।
23-
बधाण गढ़- बधाणी जाति का यह गढ़ पिंडर नदी के ऊपर स्थित था।
24-
लोहाब गढ़ - पहाड़ में लोहाब गढ़ से नेगी जाति का संबंध है। यहां के
दिलेवर सिंह और प्रमोद सिंह वीर और साहसी भढ़ थे।
25-
दशोली गढ़ - दशोली स्थित इस गढ़ को मानवर नामक राजा ने प्रसिद्धि
दिलायी थी।
26-
कंडार गढ़ - कंडारी जाति का यह गढ़ नागपुर परगने में था। यहां का
अंतिम राजा नरवीर सिंह था। पराजित होने के बाद वह मंदाकिनी नदी में डूब गया था।
27-
धौना गढ़ - इडवालस्यूं पट्टी में धौन्याल जाति का गढ़ था।
28-
रतनगढ़ - धमादा जाति का यह गढ़ ब्रहमपुरी के ऊपर था।
29-
एरासू गढ़ - यह गढ़ श्रीनगर के ऊपर था।
30-
इड़िया गढ़ - इड़िया जाति का यह गढ़ रवाई बड़कोट में था। रूपचंद नाम के
एक सरदार ने इसे तहस-नहस कर दिया था।
31-
लंगूर गढ़ - लंगूर पट्टी स्थिति इस गढ़ में भैरों देव का प्रसिद्ध
मंदिर है।
32-
बाग गढ़- बागूणी नेगियों का यह गढ़ गंगा सलाण में था।
33-
गढ़कोट गढ़ - मल्ला ढांगू स्थित यह गढ़ बगड़वाल बिष्ट जाति का था।
34-
गड़तांग गढ़ - भोटिया जाति का यह गढ़ टकनौर में था।
35-
वन गढ़ - अलकनंदा के दक्षिण में स्थित बनगढ़ में स्थित था यह गढ़।
36-
भरदार गढ़ - यह वनगढ़ के करीब स्थित था।
37-
चौंदकोट गढ़ - पौड़ी जिले के प्रसिद्ध गढ़ों में एक। इस गढ़ के अवशेष
चौबट्टाखाल की पहाड़ी पर अब भी दिख जाएंगे।
38-
नयाल गढ़ - कटुलस्यूं स्थित यह गढ़ नयाल जाति था। जिसका अंतिम सरदार
का नाम भग्गू था।
39-
अजमीर गढ़ - यह पयाल जाति का गढ़ था।
40-
कांडा गढ़ - रावतस्यूं में यह गढ़ रावत जाति का था।
41-
सावली गढ़ - यह सबली खाटली में था।
42-
बदलपुर गढ़ - पौड़ी जिले के बदलपुर में था यह गढ़।
43-
संगेला गढ़ - संगेला बिष्ट जाति का यह गढ़ नैलचामी में था।
44-
गुजड़ू गढ़- यह गुजड़ू परगने में था।
45-
जौंट गढ़ - यह जौनपुर परगना में था।
46-
देवलगढ़ - यह देवलगढ़ परगने में था। इसे देवलराजा ने बनाया था।
47-
लोद गढ़ - यह लोदी जाति का था।
48-
जौंलपुर गढ़, 49- चम्पा गढ़ ,
50-
डोडराकांरा गढ़, 51- भुवना गढ़,
52-
लोदन गढ़।