• डॉ. अतुल शर्मा
प्रकृति के सुकुमारतम कवि श्री सुमित्रानंदन पंत की आज शुभ जयंती है। कल की सी ही बात लगती है कि 1980 के दशक में लेखिका और दिल्ली दूरदर्शन की निदेशिका डॉ. कांता पंत के नई दिल्ली गोल मार्केट एसई जोड एरिया स्थित आवास पर प्रायः पंत जी के दर्शन का सौभाग्य मिलता रहता था। कांता भारती जी का पंत जी ने अपने भतीजे गोर्की पंत से विवाह करा दिया था। इस प्रकार वह कांता पंत हो गयी थीं।
‘‘मैं पंत जी के दर्शनार्थ प्रायः कवि एवं समीक्षक श्री गोपाल कृष्ण कौल के साथ जाया करता था, कभी-कभी अकेला भी जाता था। पंत जी की बादल और परिवर्तन जैसी कविताएं और उनका सौम्य सुदर्शन व्यक्तित्व आज भी स्मृति में सुरक्षित है। उनकी पावन स्मृति को सश्रद्ध नमन!’’ यह कहना है प्रसिद्ध कवि धनंजय सिह का।
कवि सुमित्रानन्दन पंत का जन्म 20 मई 1900 के दिन कौसानी उत्तराखंड में हुआ था। वे छायावादी युग के स्तंभ थे। उनके काव्य साहित्य पर जहां गांधी का प्रभाव था वहीं कई जगह मार्क्स और फ्रायड का प्रभाव बताया गया। आप हिन्दी साहित्य की काव्य परम्परा के कीर्ति स्तंभ हैं। उन्होंने पद्य के साथ गद्य रचनाएं की।
कवि पंत को पद्मभूषण सम्मान प्रदान किया गया था। साथ ही भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। साहित्य अकादमी सम्मान प्रदान किया गया। उनकी काव्य पुस्तकें हैं- वीणा, ग्रन्थि, पल्लव, गुंजन, युगवाणी, ग्राम्या, उत्तरा आदि। गद्य पुस्तकों में ‘हार’ उपन्यास, ज्योत्सना, पांच कहानी साठ वर्ष और अन्य निबन्ध, कला और संस्कृति निबंध आदि। सुमित्रानन्दन पन्त की स्मृति में कौसानी में संग्रहालय है।
(लेखक डॉ. अतुल शर्मा जाने माने साहित्यकार एवं जनकवि हैं।)
प्रकृति के सुकुमार कवि को नमन
ReplyDeleteप्रकृति के सुकुमार कवि को नमन
ReplyDeleteKavi ko bahut naman... Bahut bade kavi the Unko padam bhushan say sammanit kiya gaya tha ...
ReplyDeleteKavi ji ki jayanti par unhay mera bahut naman.... Rajnish singh
ReplyDeleteमेरा नमन प्रकृति के सुकुमार कवि को।
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