पृथ्वी दिवस पर घरों में बंद दुनिया


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डॉ. अतुल शर्मा ।

आज धरती को रहने योग्य बनाये रखने के संकल्प का दिन। यह सांकेतिक है। धरती पर प्रदूषण और उसके साथ उस पर भोगवादी सोच की मार। नदियाँ प्रदूषित, वायुमंडल दूषित, कटते जंगल, खेतों पर इमारतें उगना आदि बहुत सी चुनौतियों के बीच धरती दिवस का महत्व और भी ज़रुरी हो गया है।

आग के गोले से धरती में बदलने की विस्तृत प्रक्रिया है। फिर उसपर जीवन का उदय। परिवर्तन हुए और लम्बी यात्रा के बाद यह समय आया। अब सब को क्या करना है यह सभी को सोचना और उसपर चलना है। आज के संदर्भ में स्थिति एकदम भिन्न है। पूरा विश्व घरों मे बन्द है। वायुमंडल में एक ऐसा कोरोना वायरस उपस्थित है जो जानलेवा है। उसका कोई वैक्सीन नहीं है। बस घरों में बंद रहकर ही इससे बचा जा सकता है। यह बहुत तेजी से फैलता है।

यह वैश्विक महामारी का दौर है। महाशक्तियों ने हथियार बनाये पर इस वायरस स्वय हथियार से कम नहीं। यह कब और कैसे समाप्त होगा, यह पता नहीं। खांसी जुखाम तेज़ बुखार सांस लेने में कठिनाई इसके लक्षण देखे गए है। आईसीयू और वेन्टीलेटर के साथ इसका टेस्ट भी चुनौती बना हुआ है। डाक्टर और व्यवस्था अपने मोर्चे पर हैं। लाखों लोगों के मरने की खबर है। संख्या बढ रही है। बार-बार हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग ज़रुरी है। विश्व की यह बड़ी चुनौती दुर्भाग्यपूर्ण और त्रासद है।

हम इसी समय में जी रहे हैं। सभी गतिविधियां बन्द है। सार्वजनिक लॉकडाउन है। ऐसा न सोचा था न पढ़ा था। वह आज सामने है। दूसरी तरफ कुछ महत्वपूर्ण सोचने का का भी वक्त है यह। विश्व घरों में बंद है और प्रकृति अपने नैसर्गिक रुप की तरफ मुड़ती दिख रही है। भारत में प्रदूषित यमुना और गंगा अविरल साफ सुथरी बहने लगी है। आकाश और पर्यावरण शुद्ध हो रहा है।

अब फिर से हर विषय में नई दिशा में सोचना होगा। बहुत सी स्थितियों में परिवर्तन आ सकता है। सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु भी मिलनी मुश्किल हो गई। ऐसी भोगवादी व्यवस्था बन गई जिसे बदलना जरुरी हो गया। कोरोना से एक चीज़ बदल सकती है वह है हमारी इम्यूनिटी। यह बेहद जरुरी है। इसके लिए जीवनचर्या को ही बदलना जरुरी हो गया। विकास मनुष्य के लिए आक्सीजन के लिए हो, न कि सिर्फ मुनाफे के लिए। हिमालय बचाना, विश्व बचाना और धरती बचाना जरूरी हो गया।

अब बिजली बनानी है तो नदी को रोक दिया। सड़कें बनानी है तो पेड़ काट दिए। प्राकृतिक तौर से जीने की जगह प्रकृति को नष्ट करने में लगे लोगों को अब सोचना होगा। विकास जरुरी है और धरती और मानव सभ्यता बचा रहना भी जरुरी है। उम्मीद करनी ही चाहिए कि आज दुनियां वैश्विक महामारी से बचेगी और नए सवालों के नए उत्तर भी ढूंढ लेगी। धरती बचेगी और हम और आने वाला समय मुस्काएगा।
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लेखक डॉ. अुतल शर्मा जाने माने जनकवि, साहित्यकार हैं।
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Comments

  1. बहुत सुन्दर।
    धरा दिवस की बधाई हो।
    सुप्रभात...आपका दिन मंगलमय हो।

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