अलविदा इरफान! इतनी भी जल्दी क्या थी..

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प्रबोध उनियाल

फिल्म अभिनेता इरफान खान का यूं चले जाना स्तब्ध करता है। उनके जज्बे से लगने लगा था कि वह अपनी यह लड़ाई जीत लेंगे। जीतकर आए भी लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। गिनतियों में ही इरफान जैसे प्रतिबद्ध कलाकार सिनेमा को मिलते हैं। अभिनय हो या बीमारी की जंग उन्होंने हमेशा अपना जज्बा कायम रखा। यही वजह रही कि वे कई निर्देशकों की पहली पसंद थे।

अभिनय की और बारीकियां भले ही उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से सीखी हों लेकिन उनके व्यक्तित्व में कला का एक संपूर्ण व्यक्ति जैसे जन्मजात ही रहता हो। सीधा, सपाट और चेहरे में गंभीरता लिए यह कलाकार कुछ अलग सा ही दिखता था। एक गंभीर और प्रतिभावान कलाकार का यूं चले जाना उदास करता है।

इरफान खान ने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन से की और फिर यह सफर 50 से अधिक फिल्मों तक जारी रहा। द वॉरियर, मक़बूल, हासिल, लंच बॉक्स और पान सिंह तोमर आदि फिल्मों में उन्होंने कई यादगार किरदार निभाए। ‘अंग्रेजी मीडियम’ उनकी हालिया प्रदर्शित फिल्म थी।

असमय ही इरफान के चले जाने से भारतीय और विश्व सिनेमा के साथ सिने प्रेमी खासकर उनके किरदारों से बेइंतिहा प्यार करने वाले बेहद दुखी हैं। अब उनकी फिल्में ही उनकी यादों को जिंदा रखेंगी। अलविदा दोस्त!
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