चुनौ बाद (गढ़वाली कविता) ~ BOL PAHADI

24 October, 2019

चुनौ बाद (गढ़वाली कविता)


धनेश कोठारी //

बिकासन बोलि
परदान जी!
मिन कबारि औण ?
पैलि तुमारा घौर औण
कि/ गौं मा औण?

अबे! ठैर यार
बिन्डी कतामति न कार
पैलि हिसाब त् लगौण दे
तेरा बानौ खर्च कत्था ह्वे

भुकौं कथगा कुखड़ा खलैन
बोत्ळयूं पर छमोटा कै कैन लगैन
कथगौं करै अबारि ‘चुनौ टूरिज्म’
अर कै- कैन करिन रुप्या हज्म

कै कैतै ब्वन्न प्वड़े ई बाबा
कैका खुट्टौं मा धैरि साफा
क्य-क्य बोलि झूठ अर सच
कैका शांत करिन् गुळमुच

पदान जी! फेर बि...
क्वी टैम क्वी बग्तऽ ?

अबे! जरा थौ बिसौं
घड़ेक गिच्चा परैं म्वाळु लगौ
तिन बि कौन से अफ्वी हिटिक औण
खुट्टौं बिगर त् तिन बि ग्वाया लगौण

पुजण प्वड़ेला बिलौका द्यब्ता
खबेसूं तै बि गड़ण प्वडे़ला उच्यणा
बिधैकज्या नौ बि बजौण प्वड़ेली घंडुलि
तब त् ऐ सकली तू हमरि मंडुलि

धीरज धैर अर निसफिकरां रौ
तैरा ई भरोसा त लड़्यों चुनौ
तिन ई त् बणौण हमारि मौ
बिगास बस घड़ेक तू चुप रौ।।

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

Blog Archive

Our YouTube Channel

Subscribe Our YouTube Channel BOL PAHADi For Songs, Poem & Local issues

Subscribe