तन के भूगोल से परे

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निर्मला पुतुल/

तन के भूगोल से परे
एक स्त्री के
मन की गांठें खोलकर
कभी पढ़ा है तुमने
उसके भीतर का खौलता इतिहास..?

अगर नहीं
तो फिर जानते क्या हो तुम
रसोई और बिस्तर के
गणित से परे
एक स्त्री के बारे में...?

साभार - कविता

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