हमरु गढ़वाल

https://bolpahadi.blogspot.in/

कवि श्री कन्हैयालाल डंडरियाल
खरड़ी डांडी
पुन्गड़ी लाल
धरती को मुकुट
भारत को भाल
हमरु गढ़वाल

यखै संस्कृति - गिंदडु, भुजयलु, ग्यगुडू, गड्याल।
सांस्कृतिक सम्मेलन - अठवाड़।
महान बलि - नारायण बलि।
तकनीशियन - जन्द्रों सल्ली।
दानुम दान - मुकदान।
बच्यूं - निरभगी, मवरयूं - भग्यान।

परोपकारी - बेटयूं को परवाण।
विद्वान - जु गणत के जाण।
नेता - जैन सैणों गोर भ्यालम हकाण।
समाज सुधारक - जैन छन्यू बैठी दारू बणाण।
बडू आदिम - जु बादीण नचाव।
श्रद्धापात्र - बुराली, बाघ अर चुड़ाव।

मार्गदर्शक - बक्या।
मान सम्मान - सिरी, फट्टी, रान।
दर्शन - सैद, मशाण, परी, हन्त्या।
उपचार - कण्डली टैर, जागरदार मैर, लाल पिंगली सैर।
खोज - बुजिना।
शोध - सुपिना।

उपज - भट्ट अर भंगुलो।
योजना - कैकी मौ फुकलो।
उद्योग - जागर, साबर, पतड़ी।
जीवन - यख बटे वख तैं टिपड़ी।
व्यंजन - खूंतड़ों अर बाड़ी।

कारिज - ब्या, बर्शी, सप्ताह।
प्रीतिभोज - बखरी अर बोतल।
पंचैत - कल्यो की कंडी, भाते तौली।
राष्ट्रीय पदक - अग्यल पट्टा, पिन्सन पट्टा, कुकर फट्टा।

बचपन - कोठयूं मा।
जवनी - पलटन, दफ्तर, होटल।
बुढ़ापा - गौल्यूं फर, चुलखंदयूं फर।
आशीर्वाद - भभूते चुंगटी।
वरदान - फटगताल, नि ह्वे, नि खै, नि रै, घार बौड़ी नि ऐ।

आयात - खनु, खरबट, मनीऑर्डर।
निर्यात - छवाड़ बटे छवाड़ तैं बाई और्डर।

शुभ कामना
भगवान सबु तैं
यशवान, धनवान,
बलवान बणों
पर मी से बकै ना।

फक्कड़ कवि श्री कन्हैयालाल डंडरियाल जी की एक रचना।

Popular posts from this blog

गढ़वाल में क्या है ब्राह्मण जातियों का इतिहास- (भाग 1)

गढ़वाल की राजपूत जातियों का इतिहास (भाग-1)

गढ़वाली भाषा की वृहद शब्द संपदा