विश्व प्रसिद्ध फूलों की
घाटी से तो हर कोई परिचित है। लेकिन इससे इतर एक और फूलों की जन्नत है चिनाप घाटी।
जिसके बारे में शायद बहुत ही कम लोगों को जानकारी होगी। सीमांत जनपद चमोली के
जोशीमठ ब्लाक में स्थित है कुदरत की ये गुमनाम नेमत। जिसका सौंदर्य इतना अभिभूत कर
देने वाला है कि देखने वाला इसकी सुंदरता से हर किसी को ईर्ष्या होने लगे।
गौरतलब है ये घाटी चमोली
के जोशीमठ ब्लाक के उर्गम घाटी, थैंग घाटी व खीरों घाटी के मध्य हिमालय की
हिमाच्छादित चोटियों की तलहटी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर
स्थित है। यहां पर 300 से अधिक प्रजाति के फूल बेपनाह
सुंदरता और खुशबू बिखेरे रहते हैं। पुराणों में भी इसकी सुंदरता और खुशबू के बारे
में वर्णन है। जिसमें कहा गया है कि यहां के फूलों की सुंदरता व खुशबू के सामने
बद्री नारायण और गंधमान पर्वत के फूलों की सुंदरता व खुशबू न के बराबर है। वैसे इस
घाटी की सुंदरता 12 महीने बनी रहती है। लेकिन खासतौर पर
जुलाई से लेकर सितंबर के दौरान खिलने वाले असंख्य फूलों से इस घाटी का अविभूत कर
देने वाला सौंदर्य बरबस ही हर किसी को अपनी ओर खींचने को मजबूर कर देता है।
इस घाटी की सबसे बड़ी
विशेषता यह है की यहां पर फूलों की सैकड़ों क्यारियां मौजूद हैं। जो लगभग पांच वर्ग
किमी के दायरे में फैली हैं। हर क्यारी में 200 से लेकर 300
प्रकार के प्रजाति के फूल खिलतें हैं। जिनको देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है की
इन कतारनुमा फूलों की क्यारियों को खुद कुदरत ने अपने हाथों से फुरसत में बड़े
सलीके से बनाया हो।
फूलों की इस जन्नत में
कई दुर्लभ प्रजाति के हिमालयी फूल के अलावा बहुमूल्य वनस्पतियां व जड़ी बूटियां पाई
जाती हैं। इसके अलावा राज्यपुष्प ब्रह्मकमल की तो तो यहां सैकड़ों क्यारियां पाई
जाती हैं जो इसके सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। साथ ही इस घाटी से चारों ओर
हिमालय का नयनाभिराम और रोमांचित कर देना वाला दृश्य दिखाई देता है। लेकिन आज भी
फूलों की ये जन्नत देश और दुनिया की नजरों से ओझल है। राज्य बनने के 17 साल बाद भी
सूबे के नीति नियंताओं की नजरें प्रकृति की इस अनमोल नेमत पर नहीं पड़ी। जबकि ये
घाटी सूबे के पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित हो सकतीं हैं।
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प्रकृति प्रेमी, अधिवक्ता और
गांव के युवा दिलबर सिंह फरस्वाण कहते हैं कि चिनाप फूलों की घाटी को पर्यटन
मानचित्र पर लाने के लिए ग्रामीण कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर जिले के आलाधिकारी
से मांग कर चुके हैं। लेकिन नतीजा सिफर रहा। यदि चिनाप फूलों की घाटी को पर्यटन के
रूप में विकसित किया जाता है, तो आने वाले सालों में
उत्तराखंड में सबसे अधिक पर्यटक यहां का रुख करेंगें। चिनाप फूलों की घाटी के
साथ-साथ यहां पर फुलारा बुग्याल, गणेश मंदिर, सोना शिखर जैसे दर्शनीय स्थलों का दीदार किया जा सकता है। जबकि हेलंग,
उर्गम, चेनाप, खीरों,
होते हुए हनुमान चट्टी पैदल ट्रेकिंग किया जा सकता है। साथ ही
बदरीनाथ तक भी ट्रेकिंग किया जा सकता है। ये ट्रैक पर्वतारोहियों के लिए किसी
रोमांच से कम नहीं है।
वहीं जोशीमठ ब्लाक के
ब्लाक प्रमुख प्रकाश रावत कहतें है कि चिनाप जैसे गुमनाम स्थलों को देश और दुनिया
के सामने लाया जाना अति आवश्यक है। क्योंकि इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा
बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने चिनाप घाटी को
भी द्रोणागिरी की तर्ज पर टै्रक ऑफ द ईयर घोषित करने की मांग की है। ताकि देश और
दुनिया की नजरों से ओझल ये घाटी पर्यटन के मानचित्र पर आ सके।
वास्तव मे हमारे
उत्तराखंड में चिनाप घाटी जैसे दर्जनों स्थल ऐसे हैं, जो पर्यटन के
लिहाज से मील का पत्थर साबित हो सकतें हैं। लेकिन नीति नियंताओं ने कभी भी इनकी
सुध नहीं ली। यदि ऐसे स्थानों को चिह्नित करके इन्हें विकसित किया जाए, तो इससे न केवल पर्यटक यहां का रूख करेंगे, अपितु
रोजगार के अवसरों का सृजन भी होगा। सरकार को चाहिए की तत्काल ऐसे स्थानों के लिए
वृहद कार्ययोजना बनाए।
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आलेख- संजय चौहान, पीपलकोटी