18 October, 2017

दाज्यू मैं गांव का ठैरा


अनिल कार्की// 
पहाड़ में रहता हूं गांव का ठैरा
दाज्यू में तो पीपल की छांव सा ठैरा

ओल्ले घर में हाथ बना है
पल्ले घर नेकर और डंडा 
मल्ले घर में हाथी आया
तल्ले घर कुर्सी का झण्डा

पहाड़ में रहता हूं गांव का ठैरा
दाज्यू में तो पीपल की छांव सा ठैरा

प्रशासन दावत पर अटका
मतदाता रावत पर अटका
छप्पन लेकर सुस्त पड़े हैं 
कौन लगाए बिजली झटका

पहाड़ में रहता हूं गांव का ठैरा
दाज्यू में तो पीपल की छांव सा ठैरा

अंग्रेजी गानों में करते
पधान जी भी हिप हॉप
जीलाधीस कुर्सी में बैठे
चूस रहे हैं लालीपॉप

पहाड़ में रहता हूं गांव का ठैरा
दाज्यू में तो पीपल की छांव सा ठैरा

शराब माफिया चंवर ढुलाए
खनन माफिया आरत गाए
दिल्ली से दिल लगी राज की
जनता से ताली पिटवाए

पहाड़ में रहता हूं गांव का ठैरा
दाज्यू में तो पीपल की छांव सा ठैरा

चीनी कटक हुआ सब महंगा
महंगी हो गई गेहूं रोटी
गाडी से हूटर हटवाकर  
नोच रहे चुपके से बोटी

पहाड़ में रहता हूं गांव का ठैरा
दाज्यू में तो पीपल की छांव सा ठैरा

टूरिस्टों की टयामटुम
ठेकदार की रेलमपेल
बकरी सा जीवन है अपना
नेताओं की ठेलम ठेल

पहाड़ में रहता हूं गांव का ठैरा
दाज्यू में तो पीपल की छांव सा ठैरा


कवि- अनिल कार्की


अनिल कार्की का ही नोट :- एक तुकबन्दी! इस तुकबंदी के सभी पात्र और खुद तुकबंदी करने वाला भी काल्पनिक हैं। यह कहीं दूसरे ग्रह की बात है अपने उत्तराखंड की नहीं उत्तराखंड से इन घटनाओं का संयोग महज इत्तफाक होगा, तो महाराज सुनो !  

Popular Posts

Blog Archive

Our YouTube Channel

Subscribe Our YouTube Channel BOL PAHADi For Songs, Poem & Local issues

Subscribe