Sunday, October 18, 2015 जै दिन By Bol Pahadi गढ़वाली-कविता जै दिन मेरा गोरू तेरि सग्वाड़यों, तेरि पुंगड़यों उजाड़ खै जाला जै दिन झालू कि काखड़ी चोरे जालि जै दिन धारु धारु कि घस्येनि हपार धै लगालि तब सम्झलू कि- गौं आबाद छन। सर्वाधिकार- धनेश कोठारी Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Newer Post Older Post Home
जै दिन By Bol Pahadi गढ़वाली-कविता जै दिन मेरा गोरू तेरि सग्वाड़यों, तेरि पुंगड़यों उजाड़ खै जाला जै दिन झालू कि काखड़ी चोरे जालि जै दिन धारु धारु कि घस्येनि हपार धै लगालि तब सम्झलू कि- गौं आबाद छन। सर्वाधिकार- धनेश कोठारी Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg