जै दिन
मेरा गोरू
तेरि सग्वाड़यों, तेरि पुंगड़यों
उजाड़ खै जाला
जै दिन
झालू कि काखड़ी
चोरे जालि
जै दिन
धारु धारु कि घस्येनि
हपार धै लगालि
तब सम्झलू कि-
गौं आबाद छन।
सर्वाधिकार- धनेश कोठारी
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