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उत्तराखंड को लोक और उसकी संस्कृति अपनी आगोश में अब भी काफी कुछ अनकहा, अनछुए पहलुओं को छुपाए हुए है. इन्हीं पहलुओं में एक है जागर गायन...
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सुमाड़ी गांव 'जुग जुग तक रालू याद सुमाड़ी कू पंथ्या दादा' लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के एक गीत की यह पंक्तियां आपको याद ही ...
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गढ़वाली भाषा की शब्द-संपदा इन दिनों रमाकांत बेंजवाल की गढ़वाली भाषा पर आधारित पुस्तक ‘गढ़वाली भाषा की शब्द-संपदा’ बेहद चर्चा में है। वह...
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हुजूर ! ! मैं मलेथा हूँ, गढ़वाल के 52 गढ़ों के बीरों की बीरता के इतिहास की जीती जागती मिसाल। मैंने इतिहास को बनते और बदलते ...
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राजुला-मालूशाही पहाड़ की सबसे प्रसिद्ध अमर प्रेम कहानी है। यह दो प्रेमियों के मिलन में आने वाले कष्टों , दो जातियों , दो देशों , दो अल...
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लोग सै ब्वळदिन , ब्यठुला हैंकि बानि का उलखणि सि हुंदिन । सर्या राति फस्सोरिक नि सिंदिन , कभि घुर्यट त कबरि कणट कनि रंदिन , ...
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उत्तराखंडी फिल्मों का सफरनामा 4 मई का दिन उत्तराखंड के लिए एक खास दिन है। जब दुनिया में सिनेमा के अन्वेषण के करीब सौ साल बाद 198...
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अप्रतिम लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के उत्तराखंड से लेकर देश दुनिया में चमकने के कई कारक माने जाते हैं. नेगी को गढ़वाली गीत ...
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एक परिवार में दो महिलाएं जेठानी और देवरानी रहती थी। जेठानी बहुत दुष्ट और देवरानी शिष्ट , सौम्य , ईमानदार व सेवा भाव वाली थी। दोनों के ही...
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फिल्म समीक्षा ‘ महिला की पीठ पर टिका है पहाड़ ’ यह सच , हालिया रिलीज गढ़वाली फीचर फिल्म ‘ सुबेरौ घाम ’ की ...
