ये चन्द ..बहुमत पर भारी

लोग कह रहे हैं की इतना ईमानदार था तो कोटद्वार से मुछ्याल क्यूँ हारा ...बात ये है की खुद में ईमानदारी भी कोई चीज होती है ..भाजपा जैसी पार्टी में ईमानदार मुच्छ्याल का होना भी एक निशानी है की अगर कोई और होता तो उत्तराखण्ड को कितना उधेड़ देता ..क्यूँ की मुच्छ्याल के सीएम होते हुए मैं भी सत्ता के उन दलालों की करतूतों में पिसा ..तो इतना अन्दाजा तो लग ही गया की उत्तराखण्ड का भाग्य देहरादून बैठ कर भी नहीं... लिखा जा रहा है ..इसकी एक एक ईबादत दिल्ली से लिखी जा रही है .... जिस "आनन्द" के साथ "सारंगी" का जो संगीत यहाँ बजा ....जिस तरह मेरे सामने विधायकों और मंत्रियों से जनहित के कामों में ( निजी नहीं ) पेश आये उसने साबित कर दिया की ये डोर मुच्छ्याल बौडा के हाथ में नहीं है ...उसके बाद सत्ता की उठक पठक ने साबित कर दिया की हमारे जनप्रतिनिधि या तो वाकई इतने सीधे हैं की वे दिल्ली वालों को अपनी बात नहीं मनवा पाते .

या .........मैं ये नहीं कह सकता की भगत दा.. प्रकाश पन्त ..मुन्ना सिंह चौहान जैसे विधायकों को पहाड़ का दर्द नहीं है . और वो इसे बदलने के लिए कार्य नहीं कर रहे हैं .....विजया बडथ्वाल ..गुड्डू पंवार.. गोपाल रावत ..ओम गोपाल ..किशोर उपाध्याय ..गुनसोला जी ..आदि अनेकों ऐसे नाम हैं की ये विधायक पहाड़ हित के लिए सत्ता को ठुकरा देने का साहस रखते हैं .पर क्या हमारी व्यवस्था ही ऐसी है की शरीफ नेता इस चकरी में ऐसा पिस जाता है ..उस पर भी बिना वजह कुछ ना कर पाने का आरोप लग ही जाता है ..क्यूँ की..जिस राज्य में अधिकारियो के तबादले तक दिल्ली से निर्धारित हो जाते हैं ..ऐसे में वे विधायकों को सामान्य प्रोटोकॉल तक नहीं देते हैं ..इसी के प्रोटेस्ट में गोपाल गुड्डू ओम की तिकड़ी ने मुच्छ्याल बौडा के घर अधिकारीयों को पहले आप पहले आप से शर्मिदा कर दिया था ..पर ये भ्रष्ट अधिकारी गैंडे की खाल से भी ज्यादा बेशर्मी की खाल पहने हुए हैं ...और हमारे चन्द जन प्रतिनिधि इन भ्रष्ट अधिकारियो को पूरा पूरा संरक्ष्ण देते हैं ..जिनकी वजह से पूरे उत्तराखण्ड के जनप्रतिनिधि बदनाम हो रहे हैं ....कुछ लोग याद कर सकते हैं मुच्छ्याल बौडा के घर हुई विधायको की पार्टी में ओम गोपाल ने खुल्ले आम मंत्रीजी को कहा की कितने पैसे चाहिए आपको ट्रान्सफर के ..बिना पैसे के तो तुम ....पर सिवा ओम को चुप कराने के इस भ्रष्टाचार पर पहाड़ी विधायक मुँह नहीं खोल सके ...??? ..क्या कारण है की हमारे ज्यादातर विधायक ठीक ठाक होने के बावजूद उत्तराखण्ड भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा हुआ है ????...मुछ्याल बौडा ने भाजपा को जिताने के लिए अपना सारा जोर उत्तराखण्ड की विधानसभाओ में लगा दिया ..और चन्द लोगों ने इस बीच कोटद्वार में बेवजह की अफवाह फैला उन्हें हराने की सारी तरकीबे लड़ा दी ..जिन्होंने जिताने का वादा देकर कोटद्वार बुलाया खुद गायब हो गये ...जो विधायको से नहीं मिलता वो जनता से कैसे मिलेगा ???? अब जिसकी वजह से भाजपा की 31 सीटें आई ....उसे कौन हरा गया इस बात की सही समीक्षा और कार्यवाही कभी भाजपा नेतृत्व नहीं करेगा ..क्यूँ की शायद उसे मुच्छ्याल बौडा की जरूरत भाजपा के उस गेम को खिलवाने के लिए थी जिसके नाम से वो अपने काम करती रहे ..भाजपा कांग्रेस में भले ही एक से एक पहाड़ हितैषी जन प्रतिनिधि भरे हुए हैं ..पर नेतृत्व और चन्द जनप्रतिनिधि सिर्फ उत्तराखण्ड को एक दूकान की तरह चलाना चाहते हैं चन्द अधिकारियो के साथ मिलके ..अफ़सोस इस बात का है की ये चन्द ..बहुमत पर भारी हैं ...जय गढ़वाल ..जय कुमाऊ
साभार- मुजीब नैथानी से

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