घंगतोळ्

तू हैंसदी छैं/त
बैम नि होंद
तू बच्योंदी छैं/त
आखर नि लुकदा
तू हिटदी छैं/त
बाटा नि रुकदा
तू मलक्दी छैं/त
द्योर नि गगड़ान्द
तू थौ बिसौंदी/त
ज्यू नि थकदु
तु चखन्यों कर्दी/त
गाळ् नि होंदी
तू ह्यर्दी छैं/त
हाळ् नि होंदी
तू बर्खदी बि/त
खाळ् नि होंदी
तू चुलख्यों चड़दी/त
उकाळ् नि होंदी
पण....
भैर ह्यर्दी/त
भितर नि रौंदी
भितर बैठदी/त
घंगतोळ् होंद

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)

Copyright@ Dhanesh Kothari

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